मार्च 2022 कार्यशाला

"बेहतर कार्य क्षमता के लिए प्रौद्योगिकी" विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला

भारत सरकार की राजभाषा नीति के अनुसरण में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा समय-समय पर राजभाषा हिंदी के संबंध में कार्यशाला और विचार-विमर्श संगोष्ठी इत्यादि आयोजित करने के लिए निर्देश जारी किए जाते हैं। इसी का अनुपालन करते हुए संस्थान में 29 मार्च, 2022 को 'बेहतर कार्यक्षमता के लिए प्रौद्योगिकी' विषय पर ऑनलाइन तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया।

सर्वप्रथम डॉ. नीरज चौरसिया ने कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए अतिथि वक्ता तथा समस्त प्रतिभागियों का अभिवादन किया। आपने बताया कि संस्थान का हिंदी कक्ष समय-समय पर इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करता रहा है ताकि हिंदी में कार्य को सहज और सरल रूप से किया जा सके। आपने कार्यशाला की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का युग तकनीक का युग है तथा कार्य में तकनीक का इस्तेमाल समय की मांग भी है। जैसे कि कार्यशाला के विषय ‘बेहतर कार्यक्षमता के लिए प्रौद्योगिकी‘ से ही स्पष्ट है कि प्रौद्योगिकी से कार्य क्षमता में किस प्रकार सुधार किया जा सकता है या बेहतर बनाया जा सकता है।

आपने तकनीकी वक्ता श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच निदेशक, भारतीय भाषाएं तथा सुगम्यता माइक्रोसॉफ्ट इण्डिया का परिचय कराते हुए उन्हें कार्यशाला के विषय पर अपना अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया। श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच जी ने सभी का अभिनन्दन करते हुए कार्यशाला में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया तथा कहा कि हमें अपनी भाषा पर केवल गर्व ही नहीं करना है बल्कि काम भी करना है। आपने अपनी बात को निम्नलिखित पंक्तियों के माध्यम से सभी के सामने रखाः-
हिंदी तभी बढ़ेगी........ **नहीं नारों के दम पर एक भी सीढ़ी चढ़ेगी
नतीजे हम दिखाएंगे तभी हिंदी बढ़ेगी।
गलों को फाड़कर चाहे करें हम अनगिनत दावे
बनेगी मूक की आवाज तो हिंदी बढ़ेगी**।

ठहर जाती हैं भाषाएं नयेपन से जो डरती हैं
नवाचारों को अपनाए तभी हिंदी बढ़ेगी।
ये है तकनीक, कारोबार और विज्ञान की दुनिया
जो इनके साथ चल पाएगी तो हिंदी बढ़गी।

उन्होंने कहा हमारी भाषा को तकनीक तथा विज्ञान के साथ चलना होगा तभी स्थायित्व मिलेगा। कोरोना काल में हम रिमोट मोड में चले गए थे। लोग दूर-दूर रहते हुए सभी कार्य कर रहे थे दफ्तर बन्द थे, पर टेक्नोलाजी खुली थी। वर्चुअल आयोजन में धन, श्रम एवं समय की बचत होती है। कार्यशाला के प्रतिभागियों को विभिन्न टूल्स तथा सॉफ्टवेयर के माध्यम से विभिन्न भाषाओं में टाइपिंग में ट्रांसलेशन आदि के तरीके बताते हुए अपने कम्प्यूटर में सेटिंग करके भी दिखाया। प्रतिभागियों ने इसमें रुचि भी दिखाई।

श्री बालेन्दु ने विंडोज व ऑफिस में हिन्दी के समर्थन के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड कंप्यूटिंग, रिमोट वर्क आदि पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने हिन्दी में तकनीकी चुनौती व जागरूकता को सबसे बड़ा अभाव बताया।

अंत में डॉ. चौरसिया ने कहा कि हिन्दी में कार्य करने के लिए बहुत सारे टूल्स व सॉफ्टवेयर हैं। आशा व्यक्त की कि प्रतिभागी इस कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को उपयोग जरूर करेंगे। इसके उपरान्त आपने श्री आनन्द प्रकाश (सहायक कुलसचिव) हिन्दी कक्ष को धन्यवाद प्रस्ताव के लिए आमंत्रित किया।

श्री आनन्द जी ने सभी प्रतिभागियों, मुख्य अतिथि, अध्यक्ष हिन्दी कक्ष, हिन्दी कक्ष स्टाफ सदस्यों को सफलतापूर्वक कार्यशाला समापन के लिए धन्यवाद देते हुए कार्यशाला का समापन किया।

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